प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही। प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही।
होगी सफलता निश्चित ही दृढ़ निश्चय की शपथ लो। होगी सफलता निश्चित ही दृढ़ निश्चय की शपथ लो।
सोच लोगों की सोच लोगों की
जो गंदगी फैलाता है खुद, स्वच्छता का कार्य सफाई कार्मियों की जिम्मेदारी समझा रहा है जो गंदगी फैलाता है खुद, स्वच्छता का कार्य सफाई कार्मियों की जिम्मेदारी समझा ...
इन्सानियत ये बस एक शब्द नहीं अपनेआप में पूरी दुनिया को ज़िंदा रखने की कवायद है। ..हमसब मिलकर यदि ... इन्सानियत ये बस एक शब्द नहीं अपनेआप में पूरी दुनिया को ज़िंदा रखने की कवायद है।...
सकारत्मक सोच देती कविता ,हौसलों को उड़ान देती हुई कविता सकारत्मक सोच देती कविता ,हौसलों को उड़ान देती हुई कविता